घर पहुँच कर राहुल ने खुशबू से कहा, “खुशबू वे तो 'स्वागत' वृद्धाश्रम में रहने चले गए यार।” “चलो ये तो अच्छी बात है। वहाँ वे भी ख़ुश और यहाँ हम भी।” “नहीं खुशबू यह ग़लत हुआ है।” “अरे क्या ग़लत है राहुल? यदि आपस में ना बनती हो तो अलग रहना, सबसे अच्छा निर्णय होता है।” “लेकिन खुशबू …?” “लेकिन-वेकिन कुछ नहीं राहुल, रोज-रोज की किट-किट से पीछा छूटा। घर में जब देखो माँ के पास कोई ना कोई आता ही रहता था। कितनी भीड़ रहती थी घर में।” खुशबू की बातें सुनकर राहुल आगे कुछ भी ना बोल