में और मेरे अहसास - 67

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1.प्यार की कहानी कोई समझ ना पाया lहुश्न की जवानी कोई समझ ना पाया ll अश्क आँखों के कभी न दिखाई दिये llदिल की जुबानी कोई समझ ना पाया ll सखी उम्रभर शरारे दिल में सुलगते रहे lअधूरी जिंदगानी कोई समझ ना पाया ll बड़े चाव से भेजी थी इधरउधर से ढुढ़के lआखरी निशानी कोई समझ ना पाया ll गमों के घेरों में भी मुस्कुराना नहीं छोड़ा lप्यार की रवानी कोई समझ ना पाया ll३१-१०-२०२२ 2.आंखों के इशारे समझ सको तो समझ लो lप्यार भरा दिल परख सको तो परख लो ll१-११-२०२२ 3.मुस्कराकर दर्द को छिपाने लगे हैं lबचे कूचे