"अभय, तुम दिन भर कहां थे?" देव अपने बड़े भाई का गेस्ट हाउस के लिविंग रूम में, जहां वोह अपने छोटे भाई को ढूंढने के लिए रुके थे, इंतजार कर रहा था। "मैं गांव में गया था उस औरत को ढूंढने।" अभय ने निराशा से कहा। "कोई सुराग मिला उस तक पहुँचने के लिए? तुम्हे लगता है, की वोह हमारी मदद करेगी?""येस।"अभय और देव पिछले कुछ हफ्तों से इकलौते सुराग के पीछे भाग रहे थे जो उन के मन में अपने छोटे भाई तक पहुंचने की उम्मीद जगा रहा था। वोह दोनो अपनी खोज के काफी करीब आ चुके थे।