नर्मदा ने पाँच में से एक मिनिट तोह अपने मन में चल रहे विचारों को इकट्ठा करने में लगा दिया। उसका शरीर कांप उठा था उसकी छुअन को याद करके जो की उससे उसकी खाल उधेड़ने के लिए धमका रहा था। जिस आदमी को वोह इतने सालों पहले जानती थी वोह अब कहीं खो चुका था और एक मॉन्स्टर में बदल चुका था। वोह अभी भी यह नहीं समझ पा रही थी की आखिर उस आदमी ने उसे बंदी क्यों बना रखा है। उसने रैक पर से टॉवल उठाई और उसे काउंटर पर अच्छे से फैला लिया। उसने उन ज्वैलरी