पवित्रता - पवित्र प्यार

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कुछ पुरूषों की मानसिकता...पुरूष का प्यार तब तक प्यार है, जब तक वो स्त्री को स्पर्श ना करलेजबतक वो स्त्री स्पर्श को छू नहीं पाता उसके लिए वो सबकुछ होती हैऔर जैसे ही स्त्री उसपर भरोसा करती है अपनी दुनिया समझने लगती है और सौप देती है सबकुछ अचानक से वो उसे घिनौनी लगती है ,चरित्र हीन लगने लगती है ,क्यू उस स्त्री ने तो उसे भगवान माना है अच्छा बुरा कुछ सोचा ही नहींलेकिन पुरूष तो प्यार करता ही नहीं था वो तो सिर्फ और सिर्फ उसके शरीर को पाना चाहता था उसके जज्बात उसका प्यार या उसका सम्मान