जाना पहेचाना

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‘उन की निगाहों में जाने कितने ही रंग समाए हैं….पर हर रंग में मुझे अपना ही अक्स नजर आता है….’अमर ने एकटक प्रतिभा को देखते हुए कहा तो वह हंस पड़ी.“चलो आज तुम्हें अपने पैरंट्स से मिलवा दूं.” अमर ने प्रतिभा का हाथ थाम कर फिर से कहा. प्रतिभा खुशी से चीख पड़ी,” सच”उस के चेहरे पर शर्म की लाली बिखर गई.माहौल में और भी रंग भरते हुए अमर ने कहा, “सोचता हूं लगे हाथ उन से हमारी शादी का दिन भी तय करवा लूं.”प्रतिभा ने हौले से पलकें उठाते हुए कहा,” सीधे शब्दों में कहो न कि तुम मुझे