अपंग - 72

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72 ----- कुछ ही दिनों बाद एक दिन उसने अचानक ही फिर से रिचार्ड को अपने सामने पाया | वह जानती थी कि रिचार्ड का काम इतना फैला हुआ था कि बार-बार उसका वहाँ आना उसके लिए इतना आसान भी नहीं था | "अरे ! अचानक ही ---" भानु की आँखों से खुशी के आँसू छलक उठे | "कोई इंफॉर्मेशन नहीं, फ़ोन कर देते तो गाड़ी लेकर आ जाती ---" उसने शिकायती लहज़े में रिचार्ड से कहा | "अरे ! क्या ज़रुरत थी, टैक्सी से आ गया हूँ न ----" रिचार्ड ने उत्तर दिया | पुनीत बरामदे में बैठा अपने