अपंग - 68

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68 ----- एक बार फिर से गाड़ी पटरी पर आने लगी लेकिन अभी सब कुछ बीच में था | जब तक भानु को राजेश से छुटकारा नहीं मिलता तब तक वह असहज थी ही | "बेटा ! अब मुझे भी कुछ अकेला और थका हुआ लगने लगा है |सेठ जी के बाद में किसी से सलाह लेना मुश्किल हो रहा है | फ़ैक्ट्री के लिए किससे सलाह लूँ --? अब जबसे तुम आ गई हो, तुम्हें एक बार सब खोलकर समझा दूँ तो ---" दीवान जी ने कहा | "अंकल ! एक ज़रा वहाँ से फ़्री हो जाऊँ तब यहीं