सूरज बाबू घबरा के उठ बैठे,उन्हें भूख भी लग रही थी,और कुछ अजीब सी महक भी आ रही थी,जो उन्हें बरदाश्त नहीं हो रहा था।उनके शरीर से पसीना छूट रहा था,क्योंकि अजीब सा चिपचिपा पदार्थ उन्हें अपने जिस्म पर मला हुआ सा महसूस हो रहा था,जो गर्मी को और भी बढा रहा था।उन्होंने बडे चिडचिडे भाव से अपने उपर लपेटी पांच छ: शाले उतार फेंकी,क्या है ये तमाशा?मुंह के भीतर कोई चीज फंसी हुई थी,वो उन्होंने ऊंगली से निकाली,हथेँली पे एक पांच का सिक्का आया,जो उन्होनेँ फेंक डाली,और साथ मे आये दो तीन काजू,किशमिश और बादाम के दाने,जो.उन्होंने आश्चर्य से