में और मेरे अहसास - 65

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1.आज कहे धरा आकाश सुने lअमर प्रेम का अटूट सेतु बने ll दो जीस्त एक जान बनाकर lदौनों ही एक ही दिशा चुने ll प्यार की डोरी से बंधकर lदौनों ही उड़े आसमाँ छूने ll एक दूसरे से जुड़े होकर lचार आँखे एक सपना बुने ll जिये जी भरकर और जीने दे lसखी जिंदगी का मज़ा लुटे ll३०-९-२०२२ 2.हर जगह हर शय में तू ही है lमेरी नज़र से देख कहा नहीं है ll रेजे रेजे, पता पता, फ़िजा में lज़मीं और आसमाँ तू सभी है ll ज़माने भर में घूम के देखा lअंदर बाहर तू हर कहीं है ll