हडसन तट का ऐरा गैरा - 35

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सब साथियों के खुल कर साथ में आ जाने के बाद अब ऐश का भय तो बिल्कुल ख़त्म हो गया था पर वो अब सहसा कुछ सोच कर अफ़सोस सा करने लगी थी क्योंकि बंदर महाराज ने उसकी गर्दन पर हाथ ज़रूर रखे थे पर उसे कोई कष्ट या नुकसान बिल्कुल नहीं पहुंचाया था। वह तो अचानक ऐसा होने से अकारण ही घबरा गई थी और चीख पड़ी थी। हो सकता है कि उसकी गर्दन पर हाथ लगाना बंदर महाराज के पूजा- पाठ के उपक्रम का ही कोई हिस्सा हो। पर अब सब साथी निकल आए थे और अपनी- अपनी