साम दाम दंड भेद - भाग ४

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रामा के पिता महादेव ने अपनी दुःख भरी कहानी सुनाते हुए आगे कहा, " रामा अब हम दोनों यहीं तुम्हारे साथ रहेंगे। वहाँ गाँव में अब अपना कुछ भी नहीं है। भगवान उसे भी देख लेगा। उसने मुझे खेत से बेदखल कर दिया, घर भी तो अपना उसी खेत में था। मैं क्या करता? कहाँ जाता?" "अरे बाबूजी, आपने यह सब मुझे पहले क्यों नहीं बताया?" "क्या कर लेता तू?" "क्या हम... कोर्ट कचहरी करते?" "मुझे तो उस रास्ते से ही डर लगता है जो कचहरी की तरफ जाता है। सुना है ऐड़ियाँ घिस जाती है चक्कर काटते-काटते पर सुनवाई