निर्वासित

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हमेशा की तरह राधे बाबू ने दुकान का शटर ऊँचा किया और दहलीज को छू कर दोनों हाथ जोड़ माथे से लगा लिये। अन्दर आ दीवार में बने आले में लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों के आगे जलती हुई अगरबत्ती दो बार घुमा अगरबत्ती स्टेण्ड में खोंस दी। फिर एक डन्डे पर फटी हुई बनियान बांध कर खुद के बनाये झाड़न से आलों में रखे सामान पर से धूल झाड़ने लगे। सफाई के बाद वे कागज पर हिसाब-किताब लिखते हैं लेकिन आज उनके मन में क्रोध मिश्रित दुख था। बात कुछ खास नहीं थी, मीनाक्ष्ी नहाने के लिये गुसलखाने में घुसी तो