जैसे ही कमरे का दरवाज़ा खुलता जा रहा है। हवा में तैरती किताबें वापिस अपनी जगह पर आ रही है । शुभांगी पसीना-पसीना हों रही है । अब ज़रूर कोई अंदर आकर उसे मार डालेगा । मगर कौन ? उसने किसका क्या बिगाड़ा है। क्लॉस का दरवाज़ा पूरी तरह खुला और सामने खड़े कॉलेज के कर्मचारी को देख उसकी सांस आई । तुम यहाँ क्या कर रही हों? और दरवाज़ा कैसे बंद हो गया? भैया, हवा चली और दरवाज़ा बंद हों गया। उसके मुँह से आवाज़ नहीं निकल रही है । जाम होना तो नहीं चाहिए था वैसे । अब