भ्रम - भाग-7

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"रुक जाओ समर!" देवीना ने दौड़ते हुए समर के पास जा कर उसे रोका। "मैं जानती हूं कि तुम बिना मुसीबत की जिंदगी को जिंदगी नहीं समझते और हमेशा खतरों का इंतजार करते हो, जो आज तुम्हारे सामने है, लेकिन क्या तुम इन खतरों के लिए सही और गलत पर भी ध्यान नहीं दोगे..??" देवीना ने समर को सभी से कुछ दूर ले जाकर कहना शुरू किया...."जरा सोचो हमारे टीचर जो हमे खुद अपने साथ लाये हैं, वह क्या पागल हो गए हैं जो हमे ऐसे काम करने के लिए उकसा रहे हैं? तुम जानते हो न! हमारे गर्ग सर