प्यार का दाग - 2

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मैं बार-बार उसकी प्रोफ़ाइल आक्टीभिटी की जाँच करती रही यह देखने के लिए कि अभी भी उसके संदेश आएगा। हालाँकि उन्होंने कल मिलने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, लेकिन मुझे न तो विश्वास था और न ही उम्मीद थी कि हम कल मिलेंगे। मैं कैसे उम्मीद कर सकता थीं जब दो साल पहले से हम केवल भर्चुअल दुनिया में एक साथ थे। परिचय के साधन, बातचीत, मुलाकातें, रिश्ते सब सोशल साइट्स की परिधि में सीमित था । इसके आगे केवल उनकी कल्पना थी, जो वास्तविकता बनने की उम्मीद के करीब कहीं नहीं थी। लेकिन भले ही हम भर्चुअल दुनिया