अछूत कन्या - भाग २२

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विवेक और गंगा के गाँव जाने के बाद से ही उधर नर्मदा और सागर बेचैनी से उनके फ़ोन का इंतज़ार कर रहे थे। क्या हुआ होगा? बार-बार बेचैनी में इधर से उधर घूम रहे थे। विवेक और गंगा जब वापस आए तो उनका उतरा हुआ चेहरा देखकर वे समझ गए कि उनकी बेटी को सरपंच ने नहीं अपनाया। विवेक की तरफ़ उदास चेहरे से वह कुछ पूछते उससे पहले ही विवेक ने कहा, “बाबूजी चिंता मत कीजिए। सब ठीक हो जाएगा, कुछ दिनों की बात है। मेरे बाबूजी के लिए यह बहुत बड़ा सदमा था। उन्हें ठीक होने में, संभलने