अछूत कन्या - भाग २१  

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विवेक के बाबूजी गजेंद्र ने विवाह की बात सुनते ही गुस्से में चिल्लाते हुए कहा, “विवाह कर लिया? क्या मज़ाक है क्या? हमको बताने की, हमसे पूछने की तुमने ज़रूरत नहीं समझी? क्या शहर जाकर अपने गाँव के संस्कार भूल कर वहाँ शहर के वातावरण में तुम भी घुल गए।” “गाँव के संस्कार? कैसे संस्कार बाबूजी?” विवेक आगे कुछ कह पाता उससे पहले भाग्यवंती ने धीरे से कहा, “अजी उन्हें अंदर तो आने दो, लोग देख रहे हैं।” “यह क्या कह रही हो भाग्यवंती? अंदर आने दूँ, यह लड़की कौन है किस जाति बिरादरी की है जानने की ज़रूरत नहीं