श्रीमत् अष्टावक्रगीता का हिन्दी अनुवाद - भाग 1

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अष्टावक्र गीता अद्वैत वेदान्त का ग्रन्थ है जो ऋषि अष्टावक्र और राजा जनक के संवाद के रूप में है। भगवद्गीता, उपनिषद और ब्रह्मसूत्र के सामान अष्टावक्र गीता अमूल्य ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में ज्ञान, वैराग्य, मुक्ति और समाधिस्थ योगी की दशा का सविस्तार वर्णन है। ****** श्रीमत् अष्टावक्रगीता का हिन्दी अनुवाद ॥ श्रीः ॥ अथ: कथं ज्ञानमवाप्नोति कथं मुक्तिर्भविष्यति ।वैराग्यं च कथं प्राप्तमेतद्ब्रूहि मम प्रभो॥१॥ ** हे प्रभो ! (पुरुषः ) ज्ञानम् कथम् अवाप्नोति । (पुंसः) मुक्तिः कथम् भविष्यति । ( पुंसः) वैराग्यम् च कथम् प्राप्तम् ( भवति ) एतत् मम ब्रूहि ॥१॥ Old king Janak asks the young Ashtavakra