(मोर) चिलचिलाती धूप में आये ढूँढने छाँव जब देखा मोर को तो याद आ गया गाँवमैं तो बस यूं ही बालकनी में खड़ा था लेकिन अचानक से मेरी नजर जब उस तरफ गई तो मैं चौंकन्ना स रह गया ओ अदभुत नजारा जो मैं शायद पहली बार देख रहा था ओ भी इतना करीब से ।ओ मूड बना रहा था या बना रही थी यह तो मैं ठीक से कन्फर्म नहीं हूँ लेकिन एक एक स्टेप जो एक एक करके खोल रहा था और उससे बनने वाली ओ छबि क्या कहना जिसे भगवान ने इतना सारा कुछ दिया हो उसको