उन दिनों कबीर लखनऊ विश्वविद्यालय में एल.एल.बी. तृतीय वर्ष का छात्र था| पारिवारिक पृष्ठभूमि व व्यक्तिगत रूचि के कारण स्वाभाविक तौर पर छात्रसंघ का एक जुझारू पदाधिकारी भी था| उस दिन फीस वृद्धि के विरोध में कुलपति के कार्यालय का घेराव छात्रसंघ की ओर से आयोजित किया जा रहा था जब कबीर ने पहली बार उसे देखा| सामान्य कद-काठी की वो लड़की, चेहरे पर दैवीय सौम्यता लिए, युवा जोश व उत्साह से भरपूर, छात्राओं के एक छोटे से समूह का नेतृत्व कर रही थी| ऐसा नहीं था कि कबीर ने उससे ज्यादा खुबसूरत लड़की कभी देखी नहीं थी, पर पता