राष्ट्रीय पुरस्कार

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उसे बडा गुस्सा आता,मन ही मन वो आग बबूला हो उठता था,जब उसकी पत्नी या जवान बच्चे उसे बेरोजगार कहते,,कभी सामने ,कभी पीठ पीछे किसी और के।अरे जीवन भर किसानी कर बच्चो को पढाया लिखाया, रहने को मकान बनवा दिया,कच्चा ही सही,अब देह मे भले वो ताकत नही रही,कि और ज्यादा कमा सके,60 साल का हो गया ,तो क्या बेरोजगार हो गया,कैसी बेशर्मी है इनकी आंखो मे।समर चौहान अपने समय का बारहवी पास था,कालेेेज का एक साल भी देख चुका था,अभी भी अच्छी अंग्रेजी बोल और लिख भी सकता था,और हिन्दी मे तो उसका जोड मिलना मुश्किल था,इस मामले मे