कोट-२७बात १९७३-७५ की है। तब कक्षा में लड़कियों से लड़के बातचीत नहीं करते थे। यह एक सामाजिक परंपरा जैसी थी तब। हमारी कक्षा में तब मात्र तीन लड़कियां हुआ करती थीं। भौतिक विज्ञान प्रयोगशाला में हम प्रयोग किया करते थे। एक बार उनमें से किसी एक का रूमाल प्रयोगशाला में छूट गया था। वे प्रयोगशाला छोड़कर जा चुके थे। मेरा प्रयोग देर तक चला। मैंने रूमाल उठाया और मैडम( प्रवक्ता -भौतिक विज्ञान) को रूमाल देते हुये कहा," मैबम,यह लड़कियों का रूमाल है।" मेरा इतना कहना था कि मैडम बोली," तो उनको दे दो।" मैंने रूमाल कोट की जेब में घुसाया