प्यार का ज़हर - 45

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सरस : कोन हो तुम लोग. और मुझे क्यू यहा पे लाये हो. छोडो मुझे. विनय : ए लड्की तुम्हे यहा छोड़ने के लिए नही लाये है. ठीक है. इस लिए चुप चाप जो भाई बोलते है वही करो. सरस : नही ऐसा मत करो हमे जाने दो. बचाओ... रितेश : अरे ऐसे कैसे जाने दे. अब तो हम अपनी हवस मिटायेंगे तुमसे हेहेहे. रिहान : एक और शब्द बोला ना अपनी गंदी जुबान से. तो ये तेरी गंदी जुबान काट दूंगा. रितेश : क्या बोला बे तू मेरी जुबान कटेगा. अरे फटेले कोन है. मन्ना जो शेर की जाल