अभिव्यक्ति.. - 6

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    दीदार,... उफ़्फ़, तेरे दीदार का यूँ असर हुआ है कोन सा नशा है ये कि बीनपीए सभीका ये हाल हुआ है तारो को आसमान मे खलल हो रहा है चाँद तेरे हूश्नसे पागल हुआ है आफताब को अपनी आग महेसूस नहीं होती इस कदर तेरी जलन में वो जला हुआ है पलक उठने पर, शहंशाहो के सर झुके है तेरे सवार होनेसे, मुसाफिर रुके हुए है तेरी मुस्कुराहट पे ही तो ये फूल खिले है तेरे हुस्न के वैभव से लोग हिले हुए है फ़रिश्तोने तेरा जिक्र खुले आम किया है जन्नतमे महफ़िल का इंतजाम किया हैहवा हो,