इश्क़ ए बिस्मिल - 20

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हालातों के बीच एक गहरा समन्दर है, उस पार उतरूं तो कैसे? अफ़सोस तैरने का हुनर कहां मेरे अंदर है। अरीज पूरी रात सो नहीं पाई थी इस डर से के कहीं उसकी आंख लग जाए और उमैर ना आ जाए, सुबह फ़ज्र की अज़ान की आवाज़ कान में पड़ते ही वह सोफे से उठी थी। अज़ीन उसकी गोद में सर रखकर सोफे पर ही सो गई थी। उसने अज़ीन का सर अपनी गोद से उठाकर सोफे के कुशन के निचे रख दिया था। नज़रें इधर उधर दौड़ाते ही उसे कमरे में एक स्लिडिंग डोर दिखा था अरीज को लगा