इश्क़ ए बिस्मिल - 17

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उमैर को चार सौ चालीस वाॅट का शाॅक लगा था। क्या उसके बाबा उस से मज़ाक कर रहे थे? या फिर शादी को ही मज़ाक समझ रहे थे। वह हैरानी और काफ़ी ग़ौर से उनका चेहरा देख रहा था कि शायद वह मज़ाक ही कर रहे हो, अब शायद वो हंस पड़ेंगे, मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ था। उसने कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोला था मगर कुछ कह नहीं सका।“क्या हुआ उमैर? तुम ने अभी अभी कहा था कि तुम मुझे इन्कार नहीं करोगे। तुम्हारी इस चुप्पी से मैं क्या समझूं? तुम्हारा इन्कार या फिर इकरार?” ज़मान ख़ान