द हूडि बॉयरोज की तरह उस रात भी मैं अपने कोचिंग से घर वापस जा रही थी। वैसे तो उस गली में अंधेरा और सन्नाटा रहता ही है.. लेकिन उस रात का अंधेरा कुछ ज्यादा ही अंधकार भरा लग रहा था। मेरे कदम मुझे आगे ले जाना चाहते थे... लेकिन दिल बहुत घबरा रहा था। कुछ दूर चलने के बाद मैं रूक जाती और बार बार पीछे मुड़कर देखती कि कहीं कोई पीछे तो नहीं आ रहा है ना???और इसी तरह डरते डरते मैं अपने घर के बाहरी गेट के बिल्कुल पास आ गई। मैं गेट खोलकर अंदर गई ,