शैतानी दुनिया।

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"माँ रिषभ नानी के यहाँ से आया या नहीं।"जतिन आवाज़ लगाता हुआ घर मे घुसता है।"नहीं जतिन,ऋषि अभी तक नहीं आया बेटा, ज़रा ले आ जाकर उसको वहां से।जतिन नाराज़ होता हुआ-तुम और तुम्हारा लड़का,कितना भी समझा लो कभी समझ ही नहीं सकते। क्या ज़रुरत थी इसे वहां जाने की.....जितना बड़ा होता जा रहा है उतना ही इसका दिमाग़ कम हो रहा है।रेखा(जतिन की माँ)-ओ ओह! क्यूँ अपना दिमाग़ ख़राब करता है। पहले तो उसके बारे मे आकर पूछेगा और फ़िर हाथ धो कर उसके पीछे पड़ जायेगा।नहीं जाना तो मत जा कौन सा मेरी माँ उस पर ही काला