अछूत कन्या - भाग १४

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विवेक के मुँह से शादी का प्रस्ताव सुनते ही गंगा ने कहा, “विवेक इतने वर्षों में हमने कभी एक दूसरे के परिवार के विषय में कभी भी ना कुछ पूछा, ना कुछ जाना। हम अपने प्यार और पढ़ाई के बीच इतने व्यस्त थे कि कभी…” “अरे तो अब जान लेते हैं ना गंगा, इसमें क्या मुश्किल है?” “मुश्किल वाली बात तो है विवेक, तुम ऊँची जाति में पैदा हुए, किसी बड़े ख़ानदान से हो ना? लेकिन मैं गरीब मां-बाप की बेटी हूँ। जाति भी मैंने तुम्हें बता ही दी है।” “गंगा यह क्या कह रही हो तुम? इतने बड़े शहर