मौहब्बत बेवफ़ा..

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फतेहपुर सीकरी की दरगाह पर हर जुम्मे ताहिल मिर्जा नवाज़ अदा करने जाते हैं,नवाज़ के बाद वो इधरउधर किसी को खोजते हैं फिर मायूस होकर अपने घर लौट आते हैं,ये सिलसिला बाईस सालों से लगातार जारी है,वें जिसके इन्तज़ार में अपनी आँखों को बिछाएं हुए हैं पता नहीं उसे उनकी बैचेनी का कुछ पता भी या नहीं,लेकिन कभी कभी उनके मन में ख्याल आता है कि कमबख्त ने इतना तरसाया कि अब तो ऐसा लगता है कि शायद उसके आने से पहले मुझे मौत ही आ जाएंगी.. ताहिल मियाँ कभी कभी रातों को चिराग़ के सामने बैठकर यूँ कहा करते