बरसात की वो रात...

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बरसात के दिन थे,मुझे एक शहर में किसी काम से जाना था,आँफिस के बहुत जरूरी कागजात पहुँचाने थे वहाँ, इसलिए मैं वहाँ ट्रेन से पहुँचा,पहुँचते पहुँचते शाम हो चली थी,मैनें आँफिस के कागजात हिफाज़त के साथ आँफिस के बाँस तक पहुँचा दिए,फिर बाहर आकर एक दुकान पर चाय पी और एक समोसा खाया,रेलवें स्टेशन पहुँचा तो वापस जाने की ट्रेन रात तीन बजे की थी,मैनें सोचा,यहाँ रूककर समय क्यों बर्बाद करना,मैं बस-स्टाँप जाकर देखता हूँ कि शायद कोई बस मिल जाएं,बस-स्टाँप पहुँचा तो उन्होंने कहा कि रात ग्यारह बजे की बस है,मैनें सोचा तीन बजे की ट्रेन से ग्यारह बजे