नियति

  • 3.9k
  • 1.4k

अचानक पंडाल का शोर थम गया और धीमी-धीमी खुसुर-पुसुर होने लगी, ”बड़ी मां आ गई, बड़ी मां आ गई।“ श्रोताओं से काफी ऊँचाई पर सुसज्जित मंच पर सफेद धोती गर्दन से पांव तक लपेटे, केशविहीन चेहरा व हाथ में रूद्राक्ष की माला पकड़े साध्वी अनुरंजना यानि बड़ी मां प्रगट हुई। मंच की मद्धिम रोशनी में उन्हें स्पष्ट देखा नहीं जा सकता था। उन्होने एक हाथ ऊपर उठा सबको आसन ग्रहण करने का इशारा किया। एक छोटे से मंत्र के साथ प्रवचन आरम्भ किया। गजब का शब्द-विन्यास व सधी हुई आवाज श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने के लिये पर्याप्त थी। एक-एक शब्द