तड़प इश्क की - 16

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अब आगे.............एकांक्षी उस पंख को देखकर काफी परेशान हो जाती और फिर इधर उधर नजर घुमाते हुए देखने लगती है फिर तभी खिड़की के पास पहुंचकर झांकती फिर वहां से बालकनी में जाकर खड़ी हो जाती है और चारों तरफ देखने लगती है बालकनी से झांकते हुए उसे सुनसान सड़कों के अलावा कुछ नहीं दिखाई देता , , तेज तेज चली रही हवा बार बार एकांक्षी को छू कर चली जाती , , करीब रात के ग्यारह बज चुके थे और एकांक्षी अब भी बैचेन निगाहों से बाहर देखते हुए सुनसान राहों को देख रही थी उसकी आंखों से नींद