अनसुलझा प्रश्न (भाग 21)

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65--त्रासदीमैं अपने लेखक मित्र से फोन पर बात कर रहा था।बातो ही बातो में वह बोले,"जिस पत्रिक में मेरी रचना छपती है,उसे फाड़कर फ़ाइल में लगा लेता हूं।और पत्रिका को रद्दी में बेच देता हूँ'"क्यो ?"मैने पूछा था।",घरवालो के लिए हमारी रचनाये रद्दी हैं।वह मेरे न रहने पर उसे रद्दी में बेच देंगे,'लेखक मित्र बोले,"जब रद्दी में बिकना ही है,तो मैं ही क्यो न बेच दू"।मित्र की बात सुनकर मैं सोचने लगा यह त्रासदी हर लेखक की है।66--आधुनिक गुरुमैने एक महात्मा को अपना गुरु बना रखा था।उनका कोई भी कार्यक्रम किसी भी शहर या गांव में होता मैं उसमे सम्मिलित