रोना पड़ता है! कौन यक़ीन करता है? दिल की हालत पे यहाँ जीते जाते है मुकद्दमें आँसुओं के दस्तावेज़ पे। उसे अचानक से याद आया उसकी मां ने लिफ़ाफे के उपर किसी सुलेमान ख़ान का नाम लिखा था और पता किसी ख़ान विल्ला का था जो के कोलकाता में था। वह लम्हें में पहचान गयी थी, घूर फीर कर वह लिफ़फ़ा उसके हाथ में था। उसने झट से पलट कर देखा लिफ़ाफे का सील खुला हुआ था। उसके हाथ बड़ी तेजी से काम कर रहे थे जैसे वह एक लम्हा भी बर्बाद करना नहीं चाहती हो, उसे जानना था कि