'जय श्री राम ' का घोष अवकाश में गूँज उठा और खुशी और कौतूहल से भरा रावण धरती के उस हिस्से पर आ धमका जहाँ से यह घोषणा अभी भी गाहे बगाहे गूँज रही थी। इस वक्त रावण सूक्ष्म रूप में था जो कि धरती के जीवों के लिए अदृश्य रूप कहा जाता है।शहर के बीचोंबीच एक बड़ा सा मैदान था जिसमें एक तरफ एक बड़ा सा मंच सुसज्जित था और उस पर कुछ गणमान्य लोग बैठे हुए थे।सामने बने एक अन्य मंच पर रामलीला का मंचन किया जाने वाला था। रावण मंच के पीछे कलाकारों के बैठने के कक्ष