करोड़ों-करोड़ों बिजलियां - 7

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अध्याय 7 सर्वेक्ष्वरण ने अचंभित हो बेटे को देखा | दोनों की आँखें ही संघर्ष के मैदान में बदल गई | “आदि........... ! तुम क्या कह रहे हो.........! वैगई तुम्हें चाहिए ?” “यस आई वांट टू मैरी हर |” दोनों के बीच कुछ समय एक मौन रहा, आदित्य ने उस मौन को तोड़ा | “क्या है अप्पा......... कोई बात ही नहीं ?” “तुमने जो बोला है उसे पचा रहा हूँ |” “अप्पा.........! वैगई से आपने परिचय कराया उसी दिन से उसके ऊपर एक खिंचाव महसूस हुआ | उसे कई सालों से देखा हुआ महसूस किया | उसकी बातें, उसका व्यवहार