श्रापित रंगमहल--(अंतिम भाग)

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रात हुई और श्रेयांश रात का खाना खाकर फिर से अपने कमरें में पहुँचा, जब वह अपने कमरे में बिस्तर पर लेटा तो उसे जोर जोर से फिर से घुँघरुओं की आवाज़ सुनाई दी, जिससे वह चौंक गया,तभी घुँघरुओं की आवाज़ अचानक बंद हो गई,उस रात शम्भू उसके कमरें में नहीं सोया था,उसे कुछ जरूरी काम था इसलिए वो किसी से मिलने गया था,श्रेयांश के पूछने पर मुखिया जी ने उसे बताया था कि शायद वो किसी ताँत्रिक के पास गया है,श्रेयांश को थोड़ा अजीब लगा उनकी बात सुनकर लेकिन फिर सोचा कि गाँव के लोंग हैं इसलिए ये सब