प्यार का ज़हर - 34

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" बटुक समय बीत ता जा रहा है करीबन हम 12 बजे तक ये उबलता जल वहा तक पंहुचा पाएंगे "" लेकिन आप को वहा का कुछ भी पता है कि वहा क्या हो रहा है और क्या नही हो रहा "" ये तो हमें पता नही रुको हम पता लग्वाते है अपनी शक्तियों के जरिये "" अरे आप कितने बड़े मूर्ख है वो अच्छाइयों वाली दुनिया है उस दुनिया मे अछाइ कि शक्तियां है और कुछ बुरे लोग भी होंगे लेकिन वो हमारी मदद क्यूँ करेंगे बुराई फैलाने मे "" बटुक हमे पता चला है कि जिसको हम मारने