बेमेल - 30

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.....मुखिया के मुख से श्यामा के लिए अपमानजनक बातें सुन भीड़ में खड़ी औरतें एक सूर में उसपर टूट पड़ी। “ओ मुखिया, किसी औरत पर कोई तोहमत लगाने से पहले एकबार अपने गिरेबान में झांककर देख ले! सब पता है हमें कि तू गांव की बहू-बेटियों पर गंदी निगाह रखता है! श्यामा काकी के बारे में एक शब्द भी बोला तो तेरा मुंह नोच लुंगी! ये श्यामा काकी ही हैं जिन्होने खुद की परवाह किए बगैर पूरे गांव की मदद उस समय की, जब लोग अपने घर से बाहर निकलने में भी डरते हैं! और इनके साथ जो भी हुआ