....“तो और क्या करें!! आज हवेलीवालों ने श्यामा काकी को मारने के लिए अपने आदमियों को लगाया है! अगर इसे यूं ही जाने दिया तो इससे उनका मन बढ़ेगा और कल वे और भी कुछ भी कर सकते हैं! मारो... इसे, खत्म कर डालो!” – भीड़ में से आगे आकर एक अधेड़ उम्र के ग्रामीण ने गुस्से से कहा। “सही कह रहा है ये! इन्हे छोड़ना नहीं चाहिए! हवेलीवालों को मजा चखाना चाहिए! उन्होने उस श्यामा काकी की जान लेनी चाही जो अपना और अपने पेट में पल रहे बच्चे की परवाह किए बगैर इस गांव के हरेक इंसान की