अपंग - 47

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47 ------ कुर्सी आगे की और सरकाकर रिचार्ड ने भानु से कहा ; "इस कुर्सी पर बैठकर तुम लिखोगी ---बढ़िया --बढ़िया कविताएँ --!" "कमाल है ! कविता? वो कब ? काम-धाम नहीं करना है क्या ?आइ हैव टू वर्क --"भानु ने सोचा, कमाल है ये रिचार्ड भी ! अरे ! मैं यहाँ साहित्य-साधना और संगीत करुंगी या काम करूंगी और अपने बच्चे को पालूंगी ? "काम भी करोगी और अपने टेलेंट को भी नहीं छोड़ोगी ?" "मतलब ?मेरे बच्चे का ---" भानु कुछ कहना चाहती थी लेकिन रिचार्ड बीच में ही टपक गया | "उसके लिए आया है, तुम चिंता