यमुना के पीछे भागते-भागते अब तक नर्मदा, गंगा और सागर भी वहाँ आ गए लेकिन वह गंगा-अमृत से काफ़ी दूर खड़े होकर यमुना को पुकार रहे थे। “यमुना मेरी बच्ची ज़िद ना कर, वापस आ जा। वह पानी हमारे लिए नहीं है।” यमुना ने कहा, “नहीं बाबू जी इस पानी पर पूरे गाँव का हक़ है।” फिर उसने सरपंच से कहा, “काका जी हमारे पानी लेने से इस पानी का रंग तो नहीं बदल जाएगा ना?” सरपंच ने कहा, “हो सकता है ऐसा करने से गाँव के दूसरे कुओं की तरह गंगा अमृत भी सूख जाए और बाक़ी के गाँव