अछूत कन्या - भाग २  

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गंगा के पिता सागर पेशे से मोची का काम करते थे। परिवार का लालन-पालन सागर के ही कंधों पर था। दो वक़्त की रोटी उनके परिवार को आसानी से मिल जाती थी। सागर का काम बहुत अच्छा था। इसलिए गाँव के बहुत से लोग अपने जूते चप्पल की मरम्मत के लिए और कभी-कभी उन्हें चमकाने के लिए भी सागर के पास ही आया करते थे। यूं तो सागर का परिवार खुश था लेकिन यमुना, वह खुश नहीं थी। बचपन से अपनी माँ को सर पर ४-४ मटकी भर कर पानी लाता देख वह हमेशा दुखी हो जाती थी। एक दिन