अंधेरा कोना - 12 - मौत का सफर

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वो स्टेशन गांव के अंत में था, मैं स्टेशन गया, वहां बिल्कुल सन्नाटा था सिर्फ 7-9 लोग ही थे उधर लेकिन ये बहुत ही अजीब लोग थे, एक शख्स ने गर्मी मे स्वेटर पहन रखा था, एक शख्स छाता खोलकर खड़ा था l मैंने 130 rs देकर टिकट लिया और ट्रेन वही पर खड़ी थी तो मैं चढ़ गया क्युकी मुजे खाना भी खाना था सीट ढूंढ़कर मैं बैठा और मैंने टिफिन खोला और खाने लगा l खाना खाने के बाद मुजे नींद आ रही थी इसलिए मुजे सोना था, मैं उस बर्थ पर लेटकर सोने की कोशिश करने लगा,