खौफ की रातें - 2

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2) पुरखों का घरआपने कानपुर के शुक्लागंज का नाम सुना ही होगा ।मैं तिलक ठाकुर , शुक्लागंज गंगा ब्रिज के पास गंगा के किनारे हमारा एक पुस्तैनी पुरखों का बड़ा सा घर है लेकिन अब वहां कोई नही रहता , घर जर्जर है , ईंटे ,टाइल्स व खिड़कियां ऐसे ही झूले हुए रहतें हैं ।एकबार देखकर ऐसा सबको लगता है कि वह घरजरूर भूतिया ही होगा , पर आज तक ऐसी कोईविशेष घटना वहां नही घटी जिससे कि इस पुराने ,टूटे फूटे घर को हॉन्टेड प्लेस का दर्जा मिले ।मैंने सुना है वह घर मेरे पिता के दादा के दादा