मेरे शब्द मेरी पहचान - 17

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---- मेरा भारत मेरा हिन्दुस्तान ---- * जनाब ये वो भारत है जिसने गुलामी की बेड़ियों में नजाने कितने वर्ष बिताए थे , लौ बुझ न जाए कहीं आजादी की इसलिये कितने घरों ने अपने चिराग बुझाए थे , कितने झूले फाँसी पर इसका कोई हिसाब नहीं जिन्होंने देकर बलिदान लिख डाली यशगाथा जनाब उन्हीं पर कोई किताब नहीं , ताउम्र दबे रहेंगे बोझ तले शहीद इतना कर्ज़ दे गए हैं तिरंगा रखना खुद से ऊँचा बस इतना फर्ज दे गए हैं , भारतीय सेना के होते कोई इसकी तरफ आँख उठा कर भी देखे बताओ इतना किसी में दम