पिया बसंती रे! - 1

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भाग-1 छुट्टी का दिन था। खुशी अपने टेरेस गार्डन में पौधों की निराई गुड़ाई में लगी हुई थी। चंपा का पौधा जो उसने सर्दियों से पहले लगाया था। बसंत का मौसम आते ही उसमें व उसके साथ साथ दूसरे पौधों में नई नई कोंपले फूटने लगी थी। पुराने पत्ते झड़ गए थे और उनकी जगह नए चिकने हरे पत्तों ने ले ली थी। खुशी को इन पौधों के साथ समय बिताकर बहुत ही सुकून मिलता था। बसंत के मौसम ने फूल पत्तों पर एक अलग ही आभा बिखेर दी थी। कल तक जो पौधे उदासी की चादर ओढ़े हुए थे।