नीतू और दीवेश गाड़ी में बैठ कर घर जा रहे थे, पर नीतू के दिमाग में अभी भी दीवेश की बातें गूंज रही थी।दीवेश के गले लगने वाली बात पे, नीतू का दिल भी बहुत ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था, उसकी ही तरह नीतू का भी मन था, की वो आगे बढ़ कर दीवेश को गले लगा ले, पर इससे पहले की वो कुछ करती, दीवेश उसे सॉरी बोल कर गाड़ी में बैठ गया था। "सॉरी.. मैं पता नहीं क्या ही बोल पड़ा। चलो चले.. तुम्हें लेट हो जाएगा वरना।" "मुझे यहीं छोड़ दो.. मुझे कुछ समान लेना है।",